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7 Wonders Of The World In Hindi

दुनिया के नए सात अजूबे ( 7 Wonders of the Modern World ) –

             दुनिया के अजूबे ऐसे प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं का संकलन है, जो अपनी अद्भुत कला, संरचना, खूबसूरती, से मनुष्य को आश्चर्यचकित करती हैं। प्राचीन काल से वर्त्तमान काल तक दुनिया के अजूबों की ऐसी कई विभिन्न सूचियाँ तैयार की गयी हैं।
                     कितनी सुंदर लगती है न दुनिया जब हमें मनभावन दृश्य देखने को मिलते हैं। मन को कितनी शांति प्राप्त होती है। हमारी दुनिया में ऐसे कई कुदरती स्थान होंगे जिसे देख कर मन ख़ुशी से भर जाता है। परन्तु इस से अलग इस धरती पर कुछ ऐसे स्मारक और इमारतें भी हैं जो कलाकारी का एक अद्भुत उदाहरण हैं और जिन्हें देख कर बहुत आश्चर्य होता है, और जिन्हें दुनिया के 7 अजूबे कहा जाता है। इतना ही नहीं कुछ इमारतें सदियों से अपनी पहचान बनाये रखने में आज तक सक्षम रही हैं।
                              स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिक में न्यू 7 वंडर फाउंडेशन बनाया गया. इन्होने कैनेडा में एक साईट बनवाई, जिसमें विश्व भर की 200 कलाकृति के बारे में जानकारी थी, और एक पोल शुरू हुआ, जिसमें इन 200 एंट्री में से 7 एंट्री को चुनना था.
                  न्यू 7 वंडर फाउंडेशन के अनुसार इस परियोजना में लगभग 100 मिलियन लोगों ने नेट एवं फोन के द्वारा अपना वोट दिया. इन्टरनेट के द्वारा एक इन्सान एक ही बार 7 अजूबे चुन कर वोट कर सकता था, लेकिन फ़ोन के द्वारा एक इन्सान कई वोट दे सकता था. वोटिंग 2007 तक चली थी, जिसका रिजल्ट 7 जुलाई 2007 को लिस्बन में सबसे सामने आया.

दुनिया के 7 अजूबे


1. ताजमहल (Taj Mahal)




भारत की शान ताजमहल भी दुनिया के सात अजूबों में से एक है. अपनी खूबसूरत कलाकारी, आकृति की वजह से इसे अजूबा बोला गया था. ताजमहल का निर्माण 1632 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था.भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है।प्यार एक ऐसी एहसास हैं जिससे खूबसूरत कुछ नही होता हैं, और इसी खूबसूरती को इमारत की शक्ल दी भारत के मुगल बादशाह शाहजहाँ ने. जिन्होने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया था।सफ़ेद संगमरमर का बना ये मकबरा, पूरी तरह से सफ़ेद है, जिसके चारों ओर बगीचा है, एवं सामने पानी की बारी है. ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित है. इस जैसे सुंदर कलाकृति दुनिया में और कही देखने को नहीं मिलेगी. मुग़ल शासक शाहजहाँ ने जब इसे बनवाया था, तब इसमें 15 साल का समय लगा था, और इसे बनाने के बाद राजा ने निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि वे ऐसा कुछ दूसरा न बना सके.

2.क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer)



ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फ़ुट) लंबी और 30 मीटर (98 फ़ुट) चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है। 700 मीटर (2,300 फ़ुट) जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है।

यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है.
यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है.
यह रियो शहर के 700 मीटर ऊँची कोरकोवाडो की पहाड़ी पर स्थित है. दुनिया भर में ईसाई धर्म का यह बहुत बड़ा प्रतीक है.

3.कोलोसियम या कोलिसियम (Colosseum)



रोम के इडली में बसा ये एक विशाल स्टेडियम है. रोम में देखने के लिए ये मुख्य आकर्षण है. इसका निर्माण 72 AD में शुरू हुआ था, जो 80 AD में पूरा हुआ था. ओवल शेप की ये विशाल आकृति, कंक्रीट व् रेत से बनाई गई थी. इतनी पुरानी ये वास्तुकला आज भी दुनिया के सात अजूबों में अपनी जगह बनाये हुए है.इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वी – 72वी ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80वी ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया। इस स्टेडियम मे 50000 तक लोग एकट्ठे होकर जंगली जनवरो और योद्धाओ के बीच खूनी लड़ाई देखते थे। इसके अलावा इसमे संस्कृति कार्यक्रम और तीर्थ स्थान के रूप मे भी इस्तेमाल किया जाता था। रोमनवासी इस खेल को बहुत पसंद करते थे। पूर्व मध्यकाल में इस इमारत को सार्वजनिक प्रयोग के लिए बंद कर दिया गया। अनुमान है कि इस स्टेडियम के ऐसे प्रदर्शनों में लगभग 5 लाख पशुओं और 10 लाख मनुष्य मारे गए।यह 24 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस जैसी आकृति को बनाने की कोशिश कई इंजिनियरों द्वारा की गई, लेकिन ये एक तरह की पहेली है, जिसे आज तक कोई सुलझा पाया है.

4.माचू पिच्चू (Machu Picchu)



दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू पिच्चु एक ऊँची छोटी पर स्थित शहर हुआ करता था. समुद्र तल से 2430 मीटर उपर माचू पिच्चु में 15 वीं शताब्दी के समय इंका सभ्यता रहा करती है. इतनी ऊंचाई में शहर कैसे बसा, ये सोचने वाली बात है और यही इसे दुनिया का सातवाँ अजूबा बना देता है.
 1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि कहा जाता हैं यहाँ चेचक जैसी बीमारी फैल जाने के कारण उन्हे छोड़ना पड़ा था।

माचू पिच्चू को 1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया और 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया। क्योंकि इसे स्पेनियों ने इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद भी नहीं लूटा था, इसलिए इस स्थल का एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विशेष महत्व है और इसे एक पवित्र स्थान भी माना जाता है।7 जुलाई 2007 को घोषित विश्व के सात नए आश्चर्यों मे माचू पिच्चू भी एक है।

5.  पेत्रा (Petra)



जॉर्डन के म’आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों और पानी वाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। इसे छठी शताब्दी ईसापूर्व में नबातियों ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था। माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1200 ईसापूर्व के आसपास शुरू हुआ। आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है। पेत्रा एक “होर” नामक पहाड़ की ढलान पर बना हुई है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है।

इस शहर को रोस सिटी भी कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ को पत्थर काटकर कलाकृति बनी है, वो सब लाल रंग की है. इसका निर्माण 312 BC के लगभग हुआ था. यह जॉर्डन का मुख्य आकर्षण है, जहाँ हर साल बहुत से पर्यटक जाते है. यहाँ ऊँचे ऊँचे मंदिर है, जो आकर्षण का केंद्र है. इसके अलावा तालाब, नहरें भी है, जो बहुत सुन्योजित तरीके से बनाई गई है. इसको देखने के लिए भी लोग बहुत यहाँ आते है.

6.चीन की दिवार (The Great Wall of China)



चीन की इस विशाल दीवार को दुनिया में सब जानते है. यह दीवार कई हिस्सों में वहां के शासकों द्वारा अपने राज्य की रक्षा के लिए बनाई गई थी, जिसे धीरे धीरे जोड़ दिया गया, जो अब एक किलेनुमा आकृति की हो गई है. इसका निर्माण सातवीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक हुआ था. यह महान कलाकृति इतनी मजबूत, और विशाल है कि इसे ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना कहा गया.

इसका निर्माण मिट्टी, पत्थर, ईंट, लकड़ी और दुसरे मटेरियल को मिला कर हुआ है.यह 35 फीट ऊँची है. यह दीवार किले के समान बनी है, इसकी चौड़ाई इतनी है कि इसमें 10-15 लोग आराम से चल सकते है. हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार, अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 किमी (5,500.3 मील) तक फैली है। अपने उत्कर्ष पर मिंग वंश की सुरक्षा हेतु दस लाख से अधिक लोग नियुक्त थे। यह अनुमानित है, कि इस महान दीवार निर्माण परियोजना में लगभग 20 से 30 लाख लोगों ने अपना जीवन लगा दिया था।

 7. चीचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)



दुनिया के 7 अजूबे में से यह पहला अजूबा है। माया नाम “चीचेन इट्ज़ा” का अर्थ होता है “इट्ज़ा के कुएं के मुहाने पर।” यह ची शब्द से व्युत्पन्न, हुआ है जिसका अर्थ है “मुख” या “मुहाना” और चेन, का अर्थ होता है “कुआं” इट्ज़ा एक जातीय-वंश समूह का नाम है। ऐसा माना जाता है कि यह नाम माया के इट्ज़ (itz) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “जादू” और (h)á का अर्थ है “पानी।” स्पेनिश में इट्ज़ा (itzá) का अर्थ होता है “जल की चुड़ैलें (Brujas del Agua)” लेकिन इसका एक और अधिक सटीक अनुवाद है जल के जादूगर।

मेक्सिको मे बसी चीचेन इट्ज़ा या चिचेन इत्ज़ा कोलम्बस-पूर्व युग में माया सभ्यता द्वारा बनाया गया एक बड़ा शहर था। यह स्थल वास्तु शैलियों के विविध रूपों का प्रदर्शन करता है, शहर के बीचो-बीच कुकलाकन का मंदिर हैं जो 79 उँचाई तक बना है। इसकी चारो दिशाओ मे 91 सीढ़ियाँ हैं, प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक हैं. और 365 दिन उपर चबूतरा हैं।
इसके अलावा इस जगह पर पिरामिड ऑफ़ कुकुल्कन, चक मूल का मंदिर, हज़ार स्तंभों के हॉल एवं कैदियों के खेल का मैदान है. यह सबसे बड़े मयान मंदिरों में से एक है.











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